टिश्यू कल्चर तकनीक से इस राज्य में केले की खेती हो रही है

किसान भाई टिश्यू कल्चर तकनीक की सहायता से केले उगा सकते हैं। इससे कृषकों की आमदनी में काफी इजाफा होगा। साथ ही, फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होगी। भारत के अंदर प्रमुख तोर पर बड़े पैमाने पर केले की खेती की जाती है। सब्जी से लगाकर चिप्स निर्मित करने तक केले की बेहद मांग है। अब ऐसी स्थिति में किसान भाई इसकी खेती कर काफी शानदार मुनाफा हांसिल कर सकते हैं। परंतु, किसान भाई केला उत्पादन के लिए टिश्यू कल्चर तकनीक का उपयोग कर सकते हैं।

टिश्यू कल्चर तकनीक से केला उत्पादन 

टिश्यू कल्चर तकनीक से
केले की खेती करना एक बेहद फायदेमंद व्यवसाय सिद्ध हो सकता है। इस तकनीक के माध्यम से निर्मित किए गए पौधे रोगमुक्त और एक जैसे ही होते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता के साथ-साथ पैदावार में सुधार होता है। इसमें पौधे के एक छोटे टुकड़े को एक खास माध्यम में उत्पादित किया जाता है। इस माध्यम में पोषक तत्व एवं हार्मोन होते हैं जो पौधे की कोशिकाओं को बड़ी तीव्रता से विभाजित करने में सहयोग करते हैं। कुछ ही, माह में पौधे पर्याप्त ढ़ंग से विकसित हो जाते हैं एवं उन्हें खेत के अंदर लगाया जा सकता है। ये भी पढ़ें: केले की खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पोटाश की कमी के लक्षण और उसे प्रबंधित करने की तकनीक

बिहार में टिश्यू कल्चर तरीके से खेती हो रही है 

बिहार राज्य के कृषक भाई भी टिश्यू कल्चर ढ़ंग से केले का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे बिहार में केला उत्पादन में गुणवत्ता के साथ आमदनी बढ़ोतरी हो रही है। केले के पौधे का उत्पादन बेहतर तरीके से सूखा हुआ और रेतीली दोमट मिट्टी में सबसे शानदार होता है। मृदा को अच्छे तरीके से ढीला करें और खरपतवार को पूरी तरह से हटा दें। 

टिश्यू कल्चर तकनीक के क्या लाभ होते हैं ?

  • टिश्यू कल्चर तकनीक से निर्मित किए गए पौधे रोग से मुक्त होते हैं, जिससे फसल को बीमारियों से संरक्षण देने में सहयोग मिलता है।
  • टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार किए गए पौधे एक जैसे आकार के होते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता में काफी सुधार होता है।
  • टिश्यू कल्चर तकनीक से निर्मित किए गए पौधे आम तरीके से तैयार किए गए पौधों के मुकाबले में शीघ्र फल देने लगते हैं।
  • टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार किए गए पौधे परंपरागत तरीके से तैयार किए गए पौधों के मुकाबले में ज्यादा उत्पादन देते हैं।